सावित्रीबाई फुले भारत की महान समाज सुधारक थीं जिन्होंने अपने जीवन के दौरान समाज में उपेक्षित लोगों के लिए काम किया। वे शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के क्षेत्र में अपनी जीवन की भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए "फुले शिक्षण मंदिर" की स्थापना की जो भारत के पहले महिला शिक्षा संस्थानों में से एक है।
सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के नागपुर जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी नहीं की थी, लेकिन वे अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ काम करते हुए अपनी शिक्षा में सुधार किया और बाद में स्वयं भी शिक्षा प्राप्त की।
सावित्रीबाई फुले ने धर्मनिरपेक्षता के लिए भी अपने जीवन की भूमिका निभाई। उन्होंने समाज में सभी लोगों को एक समान ढंग से देखा था। वे ब्राह्मणों और अंग्रेजों की दलितों पर जबरदस्ती चलाए जा रहे अत्याचारों का विरोध
करते हुए "सत्य शोधक समाज" नामक संगठन की स्थापना की जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जातियों की समस्याओं का समाधान करना था। सावित्रीबाई फुले ने भारतीय महिलाओं के लिए एक पहल की शुरुआत की और उन्होंने स्त्री उत्थान के लिए लड़ाई लड़ी। उनकी समाज सुधारक और महिला संगठनों में योगदान की वजह से वे भारत की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गई हैं।
सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि 10 मार्च है। इस दिन हम सावित्रीबाई फुले के जीवन और कार्य को याद करते हुए उन्हें सम्मान देते हैं। उनका योगदान समाज में उपेक्षित लोगों के लिए जीवन में एक उदाहरण बन गया है। उनकी विचारधारा और उनके कार्य हमें धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के महत्व को समझने में मदद करते हैं। आज हम सभी सावित्रीबाई फुले के योगदान को याद करते हुए उन्हें सम्मान और नमन करते हैं।
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